हिमाचल प्रदेश की सरकार ने अपने राज्य में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण योजना शुरू की है। स्वस्थ हिमाचल के उद्देश्य को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री निरोग योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत लोगों के स्वास्थ्य की मुफ्त जांच कर दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इस योजना में आयु का कोई बंधन नहीं है। नवजात बच्चे से लेकर सभी बड़े इस योजना से कवर होंगे। अधिकतम आयु की कोई सीमा नहीं है।
हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य के लिए यह योजना काफी कारगार साबित होगी। इस राज्य के निवासियों में से अधिकांश लोग गांवों व दूरदराज के इलाकों में रहते हैं जहां तक स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच नहीं है। लोग बीमार पड़ जाते हैं तो उनको सही से इलाज नहीं मिल पाता है। नियमित चेकअप की भी कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में लोगों को मर्ज का पता काफी देर से चलता है और इलाज में देरी की वजह से उनकी जान पर बन आती है।
अब ऐसा नहीं होगा। भारत सरकार ने आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की है। जिसके तहत 10 करोड़ परिवारों के 50 करोड़ सदस्यों को साल में पांच लाख रुपये तक के उपचार की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। यह सुविधा उन लोगों को मिलती है जो अस्पताल में भर्ती होते हैं। जिनको भर्ती करने की आवश्यकता नहीं होती, उनको इलाज का खर्च खुद ही उठाना पड़ता है। ऐसे में मुख्यमंत्री निरोग योजना लोगों के बहुत काम आएगी।
मुख्यमंत्री निरोग योजना का उद्देश्य
निरोग योजना का मुख्य उद्देश्य चेकअप के माध्यम से लंबी अवधि की समस्याओं की पहचान करना है। इससे लोगों की नियमित जांच होगी और उनको दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इससे मृत्यु दर में कमी आएगी और इलाज के नाम पर होने पर अनापशनाप खर्चे से लोग बच जाएंगे। इस योजना के तहत हर एरिया के स्वास्थ्य केंद्रों व गांवों में कैंप लगाकर लोगों की जांच की जाएगी। इससे बच्चों को जोड़ा गया है। उनको भी जरूरी टीके राज्य सरकार की ओर से मुफ्त में लगाए जाएंगे।
खास बातें
- यह योजना हिमाचल प्रदेश में रहने वाले सभी लोगों के लिए है। मूल निवासी जैसी बाध्यता इस योजना में नहीं है।
- आयु सीमा का कोई क्लॉज नहीं है। हर उम्र के लोगों की मुफ्त में जांच होगी और उनको मुफ्त दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
- यह योजना मुख्य रूप से गरीबों के लिए शुरू की गई है लेकिन इसके लिए आय सीमा का निर्धारण नहीं किया गया है। हर आय वर्ग के लोग मुफ्त जांच कराके दवाओं को प्राप्त कर सकते हैं।
- इस योजना का उद्देश्य है कि प्रारंभिक चरण में ही रोगों की पहचान कर उपचार शुरू कर दिया जाए। इससे लोगों के जीवन पर जोखिम कम होगा। उनका समय से उपचार शुरू कर जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सकेगा।
- ग्रामीण क्षेत्रों के लोग डायबिटीज, ब्लड प्रेशर व टीबी जैसी बीमारियों को लेकर गंभीर नहीं होते। वे इसे सामान्य सी बात समझते हैं जिसका परिणाम घातक हो जाता है।
- इस योजना के तहत खून की जांच, आंखों की जांच, ब्लड प्रेशर की जांच, हृदय की जांच अत्याधुनिक मशीनों द्वारा करवाई जाती है।
- डायबिटीज या अन्य बीमारियों का पता चलने पर लोगों को मुफ्त में दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं और नियमित जांच के लिए बार-बार बुलाया जाता है।
- राज्य सरकार ने मरीजों को मुफ्त वितरण के लिए 330 दवाएं प्रदान की हैं। पहले चरण में 66 दवाएं उपलब्ध करा दी गई थीं।
- जिन बच्चों की उम्र आठ साल से कम है, उनको हीमोफिलिया का इंजेक्शन भी फ्री में लगाया जाता है।
- रूबेला मीजिल्स के टीके भी नि:शुल्क राज्य सरकार की ओर से इस योजना के तहत लगाए जा रहे हैं।
अस्पतालों में भी होगी जांच
- निरोग योजना के तहत जांच के लिए विशेष शिविर तो लगाए ही जाएंगे लेकिन लोगों को हमेशा इसी पर आश्रित रहने की जरूरत नहीं है। लोग हिमाचल प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्रों पर जाकर मुफ्त में चेकअप करवा कर दवाएं ले सकते हैं। सरकार का उद्देश्य है कि इस योजना के तहत अधिक से अधिक लोगों को कवर किया जाए। शिविर दूरदराज के इलाकों में नियमित लगें, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश भी दिए गए हैं।
- इस योजना के लिए बजट का प्रावधान अलग से किया गया है। इसे स्वास्थ्य संबंधी चल रही अन्य योजनाओं से जोड़ा नहीं गया है। अस्पतालों में चलने वाली योजनाओं पर काम पहले की ही तरह होता रहेगा। इस योजना के लिए दवाओं का प्रबंध अलग से किया जा रहा है। अस्पतालों की दवाओं की सप्लाई पर इस योजना का कोई असर नहीं पड़ेगा। अस्पतालों में दवाओं की उपलब्धता पहले की ही तरह बनी रहेगी।